इस भागदौड़ भरी रोजमर्रा की ज़िन्दगी में हम अक्सर खुदको पीछे छोड़ देते हैं। जॉब, घर, फैमिली, बच्चे इन सबको सँभालते सँभालते हम भूल ही जाते हैं कि हमारी खुद की तरफ भी एक जिम्मेदारी है, और वो है खुद को खुश रखने की जिम्मेदारी!!

अच्छा बताइये, आखिरी बार आपने खुदसे बात कब की थी ? या फिर चलिए छोड़िये, आप ये बताइये की आपने आखिरी बार अपने मन की सुनकर अपनी ख़ुशी के लिए कोई कदम कब उठाया था ? सोचिये सोचिये ! याद आया? नहीं ना ? वो इसलिए क्योंकि वक़्त के साथ हम अपनी खुद की ज़िन्दगी, भावनायें और पसंद-नापसंद भूल जाते हैं और दूसरों की फरमाइशों और भावनाओं को तवज्जो देने को ही अपनी ज़िन्दगी बना लेते हैं। फिर कुछ सालों बाद यही जिंदगी हमें नीरस लगने लगती है। ऐसा समय आने से पहले ही संभल जाएँ और अपने आप से जुड़े इस रिश्ते को संवारें। हम आपको कुछ ऐसे टिप्स बताएंगे जिससे आप अपने इस रिश्ते को फिर से मजबूत कर सकते हैं। तो फिर देर किस बात की है चलिए शुरू करते हैं !
थोड़ा सा वक़्त खुद के लिए…
सबसे पहले तो अपनी रोजमर्रा की ज़िन्दगी से हर रोज थोड़ा थोड़ा वक़्त अपने लिए निकालिये। शुरुआत आप 15 मिनट से कर सकते हैं फिर आप इस वक़्त को बढ़ाते जाएँ। इस वक़्त में आप कुछ भी कर सकते हैं, जैसे अगर आपकी कोई पुरानी हॉबी तो आप फिर से उसे अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना सकते हैं। पेंटिंग, डांस, योगा, एक्सरसाइज, म्यूजिक, इस तरह की कुछ एक्साइटिंग एक्टिविटीज से खुद को जोड़ें। इसके अलावा आप अपनी कोई फेवरेट मूवी देख सकते हैं या फिर अगर आप पढ़ने के शौक़ीन हैं तो कोई बुक या नॉवेल भी पढ़ सकते हैं।
मैडिटेशन है जरुरी!
जी हाँ.. अगर आप अपने दिल की सुनना चाहते हैं तो उसके लिए मैडिटेशन का सहारा ले सकते हैं। मैडिटेशन हमारे दिल और दिमाग के बीच सही तालमेल बैठाने में मदद करता है। इसलिए सुबह उठकर या फिर अपने “मी टाइम” में मैडिटेशन जरूर करें। इससे आपको खुदके और करीब जाने का और खुदको और बेहतर तरीके से समझने का मौका मिलेगा।
प्लांट्स लगाएं, और खुदके थोड़ा और करीब हो जाएँ
अगर आपको प्लांट्स लगाने का शौक है तो आप इंडोर या बालकॉनी में प्लांट्स लगा सकती हैं, यकीनन प्लांट्स को सहेज के रखने में आपके मन को सुकून मिलेगा। प्लांटिंग न सिर्फ आपको मेन्टल पीस देगा बल्कि बल्कि आपके आस पास पॉजिटिव एनवायरनमेंट भी रखेगा। और फिर एनवायरनमेंट को हेल्थी बनाने में भी आपका योगदान हो जायेगा !!
अपने आपको कॉम्पलिमेंट करना ना भूलें
पूरे दिन में एक बार आईने के सामने खड़े होकर अपने आप को जी भर के कॉम्पलिमेंट करें। दूसरों से कॉम्पलिमेंट सुनना अच्छा लगता है लेकिन जब आप खुद को स्वीकार कर अपने लिए कुछ अच्छा बोलते हैं तो दिन बन जाता है।
अपना फेवरिट फ़ूड एन्जॉय करें
वो कहते हैं ना, दिल का रास्ता पेट से होकर गुजरता है ! तो आप किसका वेट कर रहे हैं ? पकड़ लीजिये अपने पेट का रास्ता और हो जाइये अपने दिल के और करीब। हफ्ते में एक बार अपनी पसंद की डिश बनाएं या फिर अपने फेवरेट रेस्टॉरेंट में जाएँ। जब तक आप अपनी पसंद नापसंद की वैल्यू नहीं करेंगी, तब तक कोई और भी आपकी पसंद नापसंद को अहमियत नहीं देगा।
ज़िन्दगी में ये कुछ छोटे-छोटे कदम ही हमें हमारे और करीब ले आते हैं। समझिये कि आपका दिल कब ठहरना चाहता है और कब आपसे आपका वक़्त चाहता है और बढ़ाइए अपने दिल की ओर एक छोटा सा कदम। देखिये होता क्या है ना, जब हम ज़िन्दगी की भागदौड़ में होते हैं तो खुद को कहीं पीछे ही छोड़ देते हैं, और खुद को पाने की चाह में खुद को खोना सही नहीं है ना… तो खुद को ढूंढ लो वापिस, इससे पहले की देर हो जाए, क्योंकि तुमको तुम्हारी जरूरत पड़ेगी…