अभी कुछ दिनों पहले ही मेरी कज़िन विभूती से फोन पर बात चल रही थी और उसने बताया कि बेटी ज़ीवा के साथ का फ्लाइट में ट्रेवल करने का एक्सपीरियेंस कैसा रहा। खासकर फ्लाइट में बच्चों के साथ ट्रेवल करना का सही तरीका पता न हो तो यह काफी पेनफुल हो सकता है। ज़ीवा अभी दो साल की हो गई है और जब छह महीने की थी तब से इंटरनेशल फ्लाइट में सफ़र कर रही है। विभूती का यही कहना है कि उनका ज़ीवा के साथ फर्स्ट फ्लाइट का एक्पीरियेंस काफी कम्फर्टेबल था क्योंकि तब उसका एक ही काम था- दूध पीना और सोना। लेकिन 1 साल में एंटर करने के बाद उसे फ्लाइट में ले जाना चैलेंजिंग और पेनफुल था।
वाकई छोटे बच्चों के साथ ट्रेवल करना आसान नहीं होता है। बस, ट्रेन में उन्हें संभालना जितना चैलेंजिंग हैं, उससे कहीं ज़्यादा फ्लाइट में दिक्कतें है। फ्लाइट में बच्चों के साथ ट्रेवल करना हो तो मुश्किल दोगुनी हो जाती है।
अगर आप भी बच्चों के साथ फ्लाइट में जल्द ट्रेवल करने की तैयारी कर रही हैं, तो आपको कुछ टिप्स जान लेने चाहिए। बस मैं यही चाहती हूं कि बच्चों के साथ आपका ट्रेवल मज़ेदार हो, पेनफुल नहीं।
1. तैयारी पहले से ही हो
एक दिन पहले सब कुछ पैक कर लें। जल्दी उठें, एयरपोर्ट पर जल्दी पहुंचें और जितनी जल्दी हो सके चेक इन कर लें। यदि आप इसे स्टेप बाय स्टेप कर सकती हैं। इससे आपकी चीज़ें काफी आसान हो जाएगी। आप खुद को बहुत रिलेक्स महसूस करेंगी जब एयरपोर्ट पर अचानक डायपर चेंज करने की बात जाती है या फीडिंग की ज़रूरत पड़ जाती है। याद रखें कि बच्चे को गोद में लेकर हर चीज में करने में थोड़ा ज़्यादा समय लगता है। अपने सभी ट्रेवल डॉक्यूमेंट्स के अलावा, आपको अपने बच्चे का बर्थ सर्टिफिकेट भी रखना पड़ सकता है।
2. चेक-इन
कुछ एयरलाइन के पास डिपार्चर से पहले रेंटल बग्गी पहले से तैयार होती है। इस केस में, आप अपने स्ट्रोलर को अपने बैगेज के साथ छोड़ सकते हैं। ऐसा नहीं करना है तो बेहतर होगा कि आप खुद सीधे गेट पर ले जाएं। फिर आप फ्लाइट में चढ़ने से पहले इसे हैंड ओवर सकती हैं। जब आप बाहर निकलेंगे तो यह आपको फिर से दे दिया जाएगा। इसे बच्चे के साथ एयरपोर्ट पर चीज़ें करना आसान बनाता है।
कभी-कभी, प्लेन के एंट्रेंस पर कैरी-ऑन के रूप में हैंड ओवर किए गए स्ट्रोलर को आपके उतरते समय सीधे वापस नहीं दिया जाता है। यह एयरलाइन पर डिपेंड करता है। स्ट्रोलर केवल बैगेज बेल्ट पर ही अवेलेवल हो सकता है। इसका मतलब है कि अराइवल पर आपको बच्चे को काफी समय तक कैरी करना होगा। अपनी बुकिंग करते समय यह सब बातें पूछ लें।
3. सिक्योरिटी स्क्रीनिंग
चेक-इन के बाद सिक्योरिटी स्क्रीनिंग होती है। ज़्यादातर बड़े एयरपोर्ट में ऐसा स्टाफ होता हैं जो एक बच्चे के साथ आपकी मदद करेंगे। बस आपको स्क्रीनिंग प्रोसिज़र के बारे में सारी बात पहले ही जान लेनी चाहिए क्योंकि उस समय बच्चा अगर रोने लगा या किसी तरह की जिद हुई तो आपको हैंडल करना आसान होगा।
4. बोर्डिंग
एक बार जब आप चेक-इन कर चुके होते हैं और सिक्योरिटी स्क्रीनिंग प्रोसेस से गुजरते हैं, तो गेट आपका अगला स्टॉप होता है। सबसे ज़्यादा चांसेस है कि गेट एजेंट बोर्डिंग के लिए एक छोटे बच्चे के साथ आपको पहले वेलकम करेंगे। वेटिंग का यह फायदा है कि आप अपने बच्चे को थोड़ी देर और क्रॉल करने का मौका दे सकती हैं जबकि बाकी सभी लोग बोर्डिंग कर रहे हो। हालाँकि ज़्यादातर पेरेंट्स का एक्सपीरियेंस है कि अर्ली बोर्डिंग बेस्ट है। यह सेटल होने और सभी चीज़ों को ऑर्गनाइज़ करने का मौका देता है। यानी क्राउड से पहले सेटल होने लगते हैं।
5. बेबी सीट
बेबी सीट्स अभी भी प्लेन्स में नहीं दी जाती हैं। कुछ एयरलाइंस आपको खुद की बेबी कार सीट लाना रिकमेंड करते हैं। इमर्जेंसी एग्ज़िय रो के अलावा विंडो सीट्स खासकर बच्चों के लिए सूटेबल है। यदि आप अपनी खुद की बेबी सीट लाना चाह रहे हैं, तो पहले इसके बारे में पता करें। बुकिंग करते समय इसकी पॉसिबलिटीज़ और कॉस्ट के बारे में जान लें।
6. टेक ऑफ़ और लेंडिंग
कभी-कभी बच्चा टेक-ऑफ से पहले सो जाता है। यह आसान लग सकता है लेकिन इयर वेंटिलेशन और इयर प्रेशर इक्विलाइज़ेशन के मामले में यह ट्रिकी हो सकता है। इसलिए आप बच्चे को टेक ऑफ़ के कम से कम 10 मिनट बाद तक जगाए रखें। एयर प्रेशर में बदलाव को अंडरएस्टिमेट नहीं करना चाहिए। टेक-ऑफ के दौरान बच्चे को फीड करने की कोशिश करें।
7. इन-फ्लाइट
जब आप अपने कैरी-ऑन बैग में अपनी जरूरत की हर चीज पैक करते हैं, तो इसे फिल करें ताकि आपके पास अलग-अलग आइटम आसानी से मिल जाएं। आपको खुशी होगी अगर हर बार आपको अपने पूरे कैरी-ऑन को पूरी तरह से ऑफ़लोड नहीं करना पड़ रहा है। पक्का करें कि आपके पास ज़रूरत के हिसाब से डायपर्स और फूड सप्लाई हो। एक्स्ट्रा कपड़े (बच्चे और आपके दोनों के), वेट वाइप्स और छोटा प्लास्टिक बैग हो।
बच्चे का फेवरेट टॉय रखना न भूलें। यह आपके हैप्पी बेबी को और हैप्पी रखेगा। बेबी ब्लैंकेट रखना भी याद रखें। फ्लाइट में कोल्ड के कारण बच्चों को दिक्कत हो सकती है। प्लेन में एयर ड्राय होती है। आपको ध्यान रखना होगा कि बेबी हाइड्रेटेड रहे। यानी कि आपको बच्चे को ज़्यादा ब्रेडफीड कराना होगा या एक्स्ट्रा बॉटल रखनी होगी।
वैसे लंबी फ्लाइट्स में बेबी बॉटल्स या बेबी फूड जार को फ्लाइट क्रू वॉर्म करने की फैसिलिटी देते है।
सबसे ज़रूरी बात..,बच्चे के साथ कुछ भी प्रॉब्लम हो, तो क्रू से मदद लेने के लिए हिचकिचाए नहीं। फ्रेंडली और केयरिंग क्रू मेंबर्स होने से बेबी के साथ एयर ट्रेवल बहुत आसान हो जाता है। वे आपको कम्फर्टेबल फील कराने के लिए एक्स्ट्रा एफर्ट करते हैं।
तो लवली मॉम्स..बच्चों के साथ ट्रेवलिंग एक शानदार एक्सपीरियेंस हो सकता है। यकीन करें कि कुछ सालों में आप उन सभी स्पेशल मेमोरीज़ से खुश होंगी जो आप अपने बेबी के साथ बनाने जा रही हैं।