खुद को स्वीकार करो, खुद से प्यार करो और आगे बढ़ते रहो। अगर आप उड़ना चाहते हैं, तो उन चीज़ों को छोड़ना होगा जो आपको नीचे लाने का काम करती हैं। – रॉय टी. बेनेट
यह लाइन्स इस बात पर जोर देती है कि हमारी लाइफ़ कैसी होनी चाहिए, लेकिन ज़रा रूकिए, अपने फ्लैशबैक पर फिर से जाएं और खुद से सवाल करें कि क्या हमने कभी अपना ख्याल रखा है? या आपने इस बार में सोचने के लिए कितना टाइम निकाला है? दूसरों का ख्याल रखने में आप इतनी बिज़ी हैं कि खुद को ही भूल जाती हैं जो कि वाकई बड़ी अजीब बात है।
अब पहले तो यह समझना ज़रूरी है कि सेल्फ-केयर क्या है? सेल्फ-केयर एक ऐसी प्रोसेस है जिसमें व्यक्ति खुद को एप्रीशिएट करता है और खुद से प्यार करने की डायरेक्शन में आगे बढ़ता है। क्या आप समझ सकती हैं कि यह इतना ज़रूरी क्यों है? यह इसलिए ज़रूरी है क्योंकि जब हम दिनभर काम करते हैं, फैमिली, रिलेटिव्स, फ्रेंड्स और दूसरे लोगों के लिए हमेशा हाज़िर रहते हैं, तो हमारा दिमाग थक जाता है और उसे बस प्यार की ज़रूरत होती है। ये सुकून और प्यार हम हमारे दिमाग को दे नहीं पाते हैं क्योंकि हम हमारी बजाय दूसरों को प्रायोरिटी देते हैं। इसलिए, हमें इसे बदलने के लिए क्या करना चाहिए? यहाँ पर्सनल सेल्फ-केयर गाइड देंखे और इसे फॉलो करने की कोशिश करें।
1. अलग नज़रिया है ज़रूरी
हम ऐसी दुनिया में रह रहे हैं जहाँ सब कुछ तेजी से बदल रहा है और इसी बीच हम काम में लगे रहते हैं, परेशानियों को निपटाने में जुटे रहते हैं, परफेक्शनिस्ट बनने की कोशिश करते हैं। यही नहीं कई प्रोजक्ट्स में दिक्कतें झेलते हैं तो कुछ में फैल्यर हाथ लगता है, लेकिन क्या हमने कभी सोचा है कि इस पर हमारा नज़रिया क्या है? जब हम महसूस करते हैं कि हम कठिन परिस्थितियों से गुज़र रहे हैं, सब कुछ खाली सा नज़र आता है, तब हमें लगता है कि अब वैसा नहीं है और हम अपनी एनर्जी को हर उस चीज़ में लगाते हैं जो निगेटिव है। इसलिए अब समय आ गया है कि हम इसे बदल दें, लेकिन हम इसे कैसे करें? जो गलत है उस पर फोकस करने की बजाय, हम अपनी एनर्जी का इस्तेमाल अलग तरह से सोचने और सही मानसिकता बनाने में कर सकते हैं जो हमारी एनर्जी अच्छी चीज़ों में लगाएं। अच्छी किताबें पढ़कर, टेड टॉक सुनकर या बस खुद को कहें कि ये सब ठीक है और यह समय भी बीत जाएगा।
“बीता हुआ कल एक इतिहास है, आने वाला कल एक रहस्य है, लेकिन आज का समय एक उपहार है और इसलिए हम इसे एक वर्तमान कहते हैं।” – मास्टर ओगवे
2. ‘ना’ कहना सीखें
खुद को एक गिफ्ट देने की बात करते हैं, तो हममें से ज़्यादातर लोग जो नहीं करते हैं वो है किसी को ‘ना’ कैसे कहें। ऐसा इसलिए कि हम दूसरे लोगों की फीलिंग्स को लेकर इतने कंसर्न रहते हैं कि खुद के बारे में नहीं सोच पाते हैं। मैं समझ सकती हूं कि यह करना बहुत मुश्किल है लेकिन मैं यह भी समझती हूँ कि यह करना बहुत ज़रूरी है क्योंकि ऐसा न करने पर हम अपने पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ़ मुश्किल बना देंगे और हम भूल जाएंगे कि हमारी लाइफ़ में कुछ ऐसी चीज़ें हैं जिन्हें करना हमें खुशी देता है। अब वह डांसिंग, सिंगिंग हो या फिर लेटेस्ट कलेक्शन को पढ़ना या फिर वेकेशन पर जाना। इसलिए खुद पर बोझ मत बढ़ाइए और ध्यान दीजिए कि आप किस चीज़ को लेकर “हाँ” कह रही हैं क्योंकि ऐसा न हो कि पहले तो आपने हामी भर ली है लेकिन बाद में पछतावा हो।
3. पॉजिटिव अफर्मेशन
खुद की परवाह करने के सबसे अच्छे तरीकों में से एक है खुद से प्यार करना यानी सेल्फ-लव। जब सेल्फ-लव की बात आती है, तो पॉजिटिव अफर्मेशन बड़े काम का साबित होता है। ये अफर्मेशन वास्तव में वो सेंटेंस हैं जिन्हें आप हर दिन दोहराते हैं। इन्हें दोहराने से महसूस होता है कि ये हमें पॉजिटिव एनर्जी दे रहे हैं। इस तरह से आप खुद को निखारते हैं और उन चीज़ों में बदलाव लाते हैं जो कि आपको खुद के बारे में पसंद नहीं है। मान लीजिए कि आप किसी प्रोजेक्ट में फेल हो गए हैं तो इसके लिए पॉजिटिव अफर्मेशन हो सकता है, “मैं शानदार हूँ भले ही मैं प्रोडक्टिव नहीं हूँ, मैं काफी नहीं हूँ, मैं असफल नहीं हूँ, मैं दिन-ब-दिन बेहतर हो रहा हूँ।” सबसे बड़ी चीज़ जो मायने रखती हैं वह यह है कि आप उन निगेटिव सोच पर काबू पाते हैं और खुद को बेहतर बनाने की दिशा में काम करते हैं।”
4. मेडिटेशन
यह कहना बहुत आसान है कि खुद को पॉजिटिव रखने के लिए आपको ध्यान की ज़रूरत है। यह कहना वाकई आसान है लेकिन कर पाना इतना आसान नहीं है। तो हमें क्या करना चाहिए? थोड़ी कोशिश बढ़ाएं और मेडिटेशन को अनुशासन के साथ करें। इसके लिए छोटे-छोटे कदम बढ़ाएं। ऐसा जरूरी नहीं है कि सुकून देने वाले संगीत के बीच और सही पोश्चर में बैठकर ही मेडिटेशन होता है। हालाँकि यह सही तरीका है। लेकिन फिर भी जब तक वह अनुशासन नहीं आ जाता है, तब तक आप मेडिटेशन, कुकिंग, योगा, फोक डांसिंग जैसी चीज़ें कर सकती हैं। जब आपको लगगे लगे कि आप यह रोज कर सकती हैं तो क्यों ना अगले स्तर पर चला जाए और ज़्यादा फोकस करने की कोशिश की जाए। इसलिए उन चीजों को आजमाएं जो आपको एक ही जगह पर अपना ध्यान फोकस करने मदद करेंगी और एक बार जब आप इसमें महारत हासिल कर लेंगे, तो आप आराम और ध्यान के करीब एक कदम आगे बढ़ जाएंगे, भले ही केवल 10 मिनट के लिए!
तो यह जानिए कि मैं भी आपमें से एक हूँ और चीज़ें वाकई कई बार अव्यवस्थित हो जाती है और हर दिन सेल्फ केयर संभव नहीं है। लेकिन कम से कम यह एक शुरुआत है और यह ज़रूर नहीं है कि यह हर दिन किया जाए लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि आप इसके बीज आज से ही डालना शुरू करें क्योंकि आपको कुछ इस तरह बनना है – खुद के लिए पर्याप्त बनों क्योंकि बाकी दुनिया इंतज़ार कर सकती है।